Symptoms of dengue fever
डेंगू बुखार एक वायरल बीमारी है, जिसे डेंगू वायरस के कारण होता है। इसके लक्षण आमतौर पर 4 से 10 दिन के अंदर दिखाई देते हैं और इनमें शामिल हैं: अचानक तेज बुखार, जो 39 से 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है, सिरदर्द, मांसपेशियों और हड्डियों में दर्द, जो अक्सर “ब्रेकबोन बुखार” के नाम से जाना जाता है, गंभीर थकावट, आंखों के पीछे दर्द, त्वचा पर लाल चकत्ते या रैश, मतली, उल्टी, और कभी-कभी रक्तस्राव या गम से खून आना भी हो सकता है। कुछ मामलों में, डेंगू बुखार गंभीर रूप ले सकता है और डेंगू हैमरेजिक बुखार (DHF) या डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS) का रूप ले सकता है, जिससे शरीर में प्लेटलेट्स की कमी हो जाती है और रक्तस्राव या अंगों के नुकसान की आशंका बढ़ जाती है। अगर इन लक्षणों का अनुभव होता है, तो तुरंत चिकित्सा सलाह लेना महत्वपूर्ण होता है।
Home remedies for dengue fever
Goat milk
बकरी का दूध सामान्य स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हो सकता है, लेकिन यह डेंगू बुखार के उपचार का मुख्य तरीका नहीं है। बकरी का दूध पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जिसमें प्रोटीन, कैल्शियम, और विटामिन्स जैसे महत्वपूर्ण तत्व शामिल हैं। डेंगू बुखार से उबरने के दौरान, बकरी का दूध शरीर को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान कर सकता है, जिससे मरीज की शक्ति और इम्यून सिस्टम में सुधार हो सकता है। यह दूध आसानी से पचने योग्य होता है और पाचन तंत्र को राहत प्रदान कर सकता है, जो बीमारी के दौरान अक्सर प्रभावित हो जाता है। इसके अलावा, बकरी का दूध हाइड्रेशन के लिए भी सहायक हो सकता है, जो डेंगू बुखार में महत्वपूर्ण होता है।
Giloy juice
पारंपरिक भारतीय चिकित्सा में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे इम्यून बूस्टर के रूप में जाना जाता है। गिलोय में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, और एंटीवायरल गुण होते हैं जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत कर सकते हैं और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद कर सकते हैं। यह बुखार को नियंत्रित करने और शरीर को डिटॉक्सिफाई करने में भी सहायक हो सकता है।
Papaya leaf
पपीते के पत्तों में पैपिन और कृपाल जैसे एंजाइम होते हैं जो प्लेटलेट्स की संख्या को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। डेंगू बुखार के दौरान प्लेटलेट्स की कमी एक सामान्य समस्या होती है, और पपीते के पत्तों का सेवन प्लेटलेट्स के स्तर को सुधारने में सहायक माना जाता है। इसके अलावा, पपीते के पत्तों में एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं, जो शरीर के अंदर सूजन और संक्रमण को कम कर सकते हैं। इसके अलावा, पपीते के पत्तों का रस पाचन स्वास्थ्य को भी सुधार सकता है और इम्यून सिस्टम को समर्थन प्रदान कर सकता है, जिससे रोगी को बुखार और अन्य लक्षणों से लड़ने में मदद मिल सकती है। पपीते के पत्तों का रस रक्त की गाढ़ापन को नियंत्रित करने में भी सहायक हो सकता है।
Neem leaves water
पारंपरिक भारतीय चिकित्सा में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे इम्यून बूस्टर के रूप में जाना जाता है। गिलोय में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, और एंटीवायरल गुण होते हैं जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत कर सकते हैं और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद कर सकते हैं। यह बुखार को नियंत्रित करने और शरीर को डिटॉक्सिफाई करने में भी सहायक हो सकता है।
Tulsi leaves and black pepper kadha
डेंगू बुखार के उपचार में तुलसी के पत्तों और काली मिर्च का काढ़ा शरीर को कई तरीके से लाभ पहुँचा सकता है। तुलसी के पत्तों में एंटीवायरस, एंटी बैक्टीरियल, और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने और संक्रमण से लड़ने में मदद कर सकते हैं। तुलसी की पत्तियां बुखार को कम करने और सूजन को नियंत्रित करने में सहायक होती हैं।काली मिर्च में पाइपराइन नामक यौगिक होता है, जो पाचन को सुधारने और शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। काली मिर्च का सेवन शरीर के भीतर एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव डालता है, जो शरीर के विषाक्त तत्वों को बाहर निकालने में सहायक हो सकता है।
FAQs
डेंगू बुखार कैसे होता है?
डेंगू बुखार डेंगू वायरस के कारण जो मछर के काटने से होता है।
डेंगू बुखार के लक्षण क्या है।
लक्षण आमतौर पर 4 से 10 दिन के अंदर दिखाई देते हैं और इनमें शामिल हैं: अचानक तेज बुखार, जो 39 से 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है, सिरदर्द, मांसपेशियों और हड्डियों में दर्द, जो अक्सर “ब्रेकबोन बुखार” के नाम से जाना जाता है, गंभीर थकावट, आंखों के पीछे दर्द, त्वचा पर लाल चकत्ते या रैश, मतली, उल्टी, और कभी-कभी रक्तस्राव या गम से खून आना भी हो सकता है।
डेंगू बुखार के लिए होम रेमेडीज क्या है?
बकरी का दूध, गिलोय जूस, पपीते के पत्ते, नीम के पत्ते, तुलसी के पत्ते और काली मिर्ची का काढ़ा